साईं वे साढी फरियाद तेरे ताहि is a beautiful sufi song written and sung by Satinder Sartaj .
साईं वे साढी फरियाद bhajan Credits-
- Singer :- Satinder Sartaj
- Lyrics :-Satinder Sartaj
- Music :- Satinder Sartaj
साईं वे साढी फरियाद Lyrics in Hindi –
कोई अली आखे कोई वली आखे,
कोई कहे दाता सचे
मालिका नु ।
मेनू समज न आवे की नाम
देवा, एस गोल चकी दिया
चालका नु ॥
रूह दा असल मालिक ओही
मानिये जी, जिदा नाम लईए
ता सरुर होवे ।
अखा खुलिया नू महबूब
दिस्से, अखा बंद होवण ता
हुजुर होवे ॥
कोई सौन वेले कोई नहान
वेले, कोई गौण वेले तैनू
याद करदा ।
एक नजर तू मेहर दी मार
साईं, सरताज वी खड़ा
फरयाद करदा ॥
साईं वे साढी फरियाद
तेरे ताहि, साईं वे
बह्हो फ़ढ़ बेड़ा बन्ने
लाई ।
साईं वे मेरेआं गुनाहा
नु लुकाई, साईं वे हाजरा
हजूर वे तू आई ॥
साईं वे साढी फरियाद
तेरे ताहि, साईं वे
बह्हो फ़ढ़ बेड़ा बन्ने
लाई ।
साईं वे मेरेआं गुनाहा
नु लुकाई, साईं वे हाजरा
हजूर वे तू आई ॥
साईं वे फेरा मस्कीना
वाल पाई, साईं वे बोल काक
सारा दे पुगई ।
साईं वे हक विच फैसले
सुनाई, साईं वे हौली –
हौली खामिया घटाई ।
साईं वे मेनू मेरे
अन्द्रो मुकाई, साईं जे
डीगिये ता फर के उठाई ।
साईं वे देखि ना भरोसे
आजमाई, साईं वे औखे -सौखे
रहा चो काढायीं ।
ओ साईं, कला नु वी होर
चमकाई, वे सूरा नु बिठा
दे थो – थाई ।
साईं वे ताल विच तुरना
सिखाई, साईं वे साज रूस
गए ता मनाई ।
साईं वे ऐहना नाल आवाज़
वे रालायी, साईं वे अखरा
दा मेल तू कराइ ।
साईं वे कन्नी किसे गीत
दी फडाई, साईं वे शब्दा
दा साथ वी निभाई ।
साईं वे नगमे नू फड़ के
जगाई, साईं वे शायरी च
असर वखायीं ।
साईं वे ज़ज्बे दी वाले
नु वडाई, साईं वे गुट-गुट
सब नु पेआयीं ।
साईं वे इश्कुए दा नशा
वी चाडायीं, साईं वे सैर
तू ख्यालां नू कराई ।
साईं वे तारेआं दे देश
ली के जावीं, साईं वे
फुफिया दे वांगरा नचाई
।
साईं वे असी सज बैठे
चाईं-चाईं, साईं वे थोड़ी
बौती अदा वी सिखाई ।
साईं वे मेरे नाल- नाल तू
वे गायीं ।
साईं वे साईं लाज सरताज
दी बचाई, साईं वे भुलेये
नू ऊँगली फराई ।
साईं वे अग्गे हो के राह
रोषनयी, साईं वे नेहरा
विच पल्ले ना छुडायीं ।
साईं वे जिंदगी दे भोज
नु चुकाई, साईं वे
फिखारा नु हवा च उढाई ।
साईं वे सारे लगे दाग वी
धोअई, साईं वे सिले-सिले
नैना नु सुखाई ।
साईं वे दिला दे गुलाब
महकाई, साईं वे बस पट्टी
प्यार दी पढ़ाईं ।
साईं वे पाक साफ़ रहा नु
मलाई, साईं वे बच्चेआ दे
वंगु समझाईं ।
साईं वे माड़े कामो घूर
के हटाई, साईं वे खोटेया
नु खरे च मिलाई ।
साईं वे लोहे नाल पारस
कसाई, साईं वे मेहेंता
दे मूल वे पवाई ।
ओ साईं वे मारेया दी
मंदी न विखाई, साईं वे
देखि हून देर न लगाई ।
साईं वे दारां ते खरे हा
खैर पाई, साईं वे महरा
वाले मीह वि वरसाई ।
साईं वे अकला दे घड़े नु
पराई, साईं वे घुम्बद
गरूर दे गिराई ।
साईं वे आग वंगु हौसले
पखाई, साईं वे अम्बरा
तोह सोच मंगवाई ।
साईं वे अपे वाज़ मार के
बुलाई, साईं वे हुन सानु
कोल वे बिठाई ।
साईं वे अपने ही रंग च
रंगाई, साईं वे मैं हर
वेहले करां साईं साईं ।
साईं वे तोते वांगु बोल
वी रटाई, साईं वे आत्मा
दा दीवा वी जगाई ।
साईं वे अनहद नाद तू
वजाई, साईं वे रूहानी
कोई तार छेड़ जाईं ।
साईं वे सच्ची सरताज वी
बनाई ।।
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